शरणार्थी जैसा जीवन जीने को मजबूर हैं मोहल्ला बाला जी नगर वाले

शरणार्थी जैसा जीवन जीने को मजबूर हैं मोहल्ला बाला जी नगर वाले

बदायूं शहर के कुछ हिस्से ऐसे हैं, जिनके साथ विदेशियों से भी बदतर व्यवहार किया जा रहा है लेकिन, वोट मांगते समय किसी को कोई समस्या नहीं होती। चुनाव होते ही जनप्रतिनिधि फिर ऐसा व्यवहार करने लगते हैं, जैसे वे अवैध शरणार्थी हों। जनप्रतिनिधियों और अफसरों की उदासीनता से हजारों लोग बेहद परेशान नजर आ रहे हैं।

शहर की पश्चिम-दक्षिण दिशा में एक मोहल्ला है बाला जी नगर पर, बाला जी नगर कहने भर को ही शहर का हिस्सा है, क्योंकि कागजों में बाला जी नगर शहर का हिस्सा नहीं है। सवाल उठता है कि फिर बाला जी नगर किसका हिस्सा है? जवाब है कि बाला जी नगर कहीं का हिस्सा नहीं है। कागजों के अनुसार मंडी समिति के पीछे का इलाका ग्राम पंचायत नरऊ के दायरे में आता है लेकिन, बाला जी नगर को नरऊ ग्राम पंचायत का हिस्सा नहीं माना जाता। नरऊ ग्राम पंचायत अपना हिस्सा माने तो भी कुछ भला नहीं होगा, क्योंकि ग्राम पंचायत में विकास कार्यों के लिए इतना धन नहीं मिलता, जो वह शहरी क्षेत्र की तरह विकास कार्य करा दे।

बदायूं नगर पालिका परिषद आवास विकास कॉलोनी से पहले ही खत्म हो जाती है। नगर विधान सभा क्षेत्र में भी आवास विकास कॉलोनी नहीं आती। बदायूं लोकसभा क्षेत्र भी उधर नहीं है। आवास विकास कॉलोनी से आगे बाला जी नगर का विधान सभा क्षेत्र शेखूपुर और लोकसभा क्षेत्र आंवला है पर, इस क्षेत्र के विधायक और सांसद शहर का हिस्सा होने के चलते दूर ही रहते हैं।

चुनाव के दिनों में किसी को कोई समस्या नहीं होती। आवास विकास कॉलोनी और बाला जी नगर क्षेत्र में रहने वाले अधिकांश मतदाता शहरी क्षेत्र में ही हैं, उस समय इधर वाले उम्मीदवार प्रेम से वोट मांगते हैं और चुनाव होते ही उनकी सीमा तय कर देते हैं। जनप्रतिनिधियों को समस्या के समाधान की दिशा में तत्काल कदम उठाना चाहिए। हालाँकि विधायक महेश चंद्र गुप्ता की पहल पर जिलाधिकारी ने आवास विकास कॉलोनी और बाला जी नगर को शहरी क्षेत्र में शामिल करने की पहल शुरू की थी, नगर पालिका से भी प्रस्ताव तैयार किया गया था पर, उसके बाद क्या हुआ, इस बारे में नहीं पता।

पालिकाध्यक्ष दीपमाला गोयल आवास विकास कॉलोनी में रहती हैं, वहां से उनका अपना लगाव भी है, जिससे उनके पालिकाध्यक्ष बनने के बाद से आवास विकास कॉलोनी में सुधार हुआ है, वहां सफाई वगैरह भी होने लगी है लेकिन, बाला जी नगर के लोग अभी भी प्राथमिक सुविधाओं को तरस रहे हैं। जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक उदासीनता के चलते बाला जी नगर में घुसने वाला मार्ग ही तालाब बना हुआ है, जिसमें पढ़ने जाने वाले छोटे बच्चे रोज गिर जाते हैं, साथ ही भूमिगत लाइन के चलते अधिकांश क्षेत्र में करेंट दौड़ रहा है, जो कभी भी जानलेवा साबित हो सकता है।

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