शिव का सर्वोत्तम पूजन है रुद्रभिषेक

शिव का सर्वोत्तम पूजन है रुद्रभिषेक
साध्वी चिदर्पिता
साध्वी चिदर्पिता

शिव को जलाभिषेक अति प्रिय है। उनका सर्वोत्तम पूजन रुद्रभिषेक है। रुद्र और शिव को अलग करके नहीं देखना चाहिए। शिव ही रुद्र हैं। वेदों में शिव को ही रुद्र कहा गया है। इस देश को रुद्रभिषेक प्राकर्तिक रूप से प्राप्त है। शिव स्वयं हिमालय रूप में स्थापित हैं। हिमालय की पहाड़ियाँ उनकी जटाएँ हैं। शिवालिक का अर्थ ही है शिव की अलकें। अलकें अर्थात जटाएँ। नदियां वर्षपर्यंत हिमालय रूपी शिव का अपने जल से अभिषेक करती रहती हैं। सावन में रुद्रभिषेक का और भी अधिक महत्व है। कहते हैं सावन में ही शिव और सती का विवाह हुआ था। सती प्रकृति हैं और शिव पुरुष हैं। प्रकृति और पुरुष का यह संगम ही जीवन का आधार है। यही कारण है कि सावन में प्रकृति में सृजन चरम पर होता है। इसी नव सृजित जीवन की रक्षा के लिए सन्यासी चौमास में यात्रा नहीं करते। यात्रा में अनजाने में ही आँख से न दिखने वाले जीव और नवस्फुटित बीज पाँव के नीचे आ सकते हैं। इस पाप से बचने को वे एक ही स्थान पर रहकर साधना करते हैं। सती प्रकृति हैं और शिव उनके पति हैं, स्वामी हैं। अतः प्रकृति से जुड़ी प्रत्येक वस्तु में शिव का वास है। सावन में जब वर्षा होती है तो वह भी मानो शिवजी का जलाभिषेक ही होता है। इस सत्य को समझ कर ही संभवतः वैदिक काल से रुद्राभिषेक को प्रतीक रूप में करने की परंपरा पड़ी होगी। रुद्रभिषेक में द्रव्यों का अधिक महत्व है। जितने प्रकार के द्रव्य समर्पित करेंगे उतना ही उत्तम होगा। दूध, दहि, घी, शहद, गंगाजल, कुशोदक, भांग, धतूर, शर्करा, चन्दन, शमी, भस्म, रत्नाभिषेक आदि शिव को बहुत प्रिय हैं। इनमें जो भी संभव हो पाये श्रद्धा से अर्पित करें। न कर पाएँ तो वो भोले भण्डारी हैं, एक लौटा जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं। रुद्राष्टाध्यायी के मंत्रो से रुद्रभिषेक सर्वोत्तम है किन्तु पूरा पाठ संभव न हो तो सोलह मंत्रों से महाभिषेक कर लें। वैदिक मंत्रों का शुद्ध उच्चारण न कर पाएँ तो महामृयुंजय मंत्र से अभिषेक कर लें। रुद्राष्टक से भी कर सकते हैं। वह भी न हो पाये तो केवल पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जप करते हुए ही जल चढ़ाकर बेलपत्र चढ़ा दें। बेलपत्र अवश्य अर्पित करें। यदि किसी कारणवश अखंड बेलपत्र प्राप्त न हों तो शिवलिंग पर चढ़े हुए बिल्वपत्र ही पुनः धोकर अर्पित कर दें, इसके बिना पूजन अधूरा ही रहेगा। सावन का पवित्र महीना शुरू होने वाला है, सकाम पूजन के लिये यह उत्तम अवसर है। भाव के भूखे भोले भण्डारी आपकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करें। हर-हर महादेव!

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