दोपहर तक सीएम के साथ रहे और दोपहर बाद हो गये भाजपाई

दोपहर तक सीएम के साथ रहे और दोपहर बाद हो गये भाजपाई
युवाओं के साथ फोटो कराते अभिनेता विवेक ओबराय।
युवाओं के साथ फोटो कराते अभिनेता विवेक ओबराय।

बदायूं के इस्लामियां इंटर कॉलेज के मैदान में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आज दोपहर अपने भाषण के दौरान सपाइयों से कह रहे थे कि वोट बहुत हैं, अब वोट रखाने का समय है, इस वोट को रोक कर रखना। यह हिदायत देकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लखनऊ पहुँचते, उससे पहले पूर्व विधायक दयासिन्धु शंखधार समाजवादी पार्टी छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये, जबकि मुख्यमंत्री के साथ मंच पर दयासिन्धु शंखधार भी मौजूद थे और इन्होंने भाषण देकर सपा प्रत्याशी धर्मेन्द्र यादव को जिताने की अपील भी की थी। दयासिन्धु शंखधार के पार्टी छोड़ने से सपा को कितना नुकसान होगा और भाजपा को कितना फायदा होगा, इसका खुलासा तो समय आने पर ही होगा, पर सपा के साथ हुए इस धोखे की चर्चा पल भर में जिले में फैल गई, जिससे लोग तरह-तरह की बातें कर रहे हैं।

पूर्व विधायक रामसेवक सिंह पटेल के आवास पर भाजपा में शामिल होते समय भाषण देते पूर्व विधायक दयासिन्धु शंखधार।
पूर्व विधायक रामसेवक सिंह पटेल के आवास पर भाजपा में शामिल होते समय भाषण देते पूर्व विधायक दयासिन्धु शंखधार।

भारतीय जनता पार्टी के लिए आज का दिन बेहद अच्छा रहा, क्योंकि भाजपा का टैंपो हाई करने के लिए दोपहर में अभिनेता विवेक ओबराय आये, तो उन्होंने शहर के युवाओं को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी और दोपहर बाद समाजवादी पार्टी के मंच से उतर कर पूर्व विधायक दयासिन्धु शंखधार भाजपा में आकर शामिल हो गये। पूर्व विधायक रामसेवक सिंह पटेल के आवास पर भाजपा में शामिल होते समय उन्होंने कहा कि उनका शरीर सपा में था, लेकिन आत्मा भाजपा में ही थी। बोले- वहां सम्मान नहीं था, इसलिए सपा छोड़ रहे हैं, यह भी कहा कि देश भर में नरेंद्र मोदी के नाम की लहर चल रही है, तो वे अलग कैसे रह सकते हैं। इस अवसर पर गंगा महासभा के राष्ट्रीय संयोजक हरिओम, विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय मंत्री राजेन्द्र पंकज, आरएसएस के विभाग प्रचारक मुनीश, सेवा दल के योगेन्द्र, भाजपा पंचाल क्षेत्र के अध्यक्ष बीएल वर्मा, पूर्व विधायक रामसेवक सिंह पटेल, भाजपा जिलाध्यक्ष प्रेम स्वरूप पाठक और मनोज कृष्ण गुप्ता प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

उल्लेखनीय है कि सपा प्रत्याशी धर्मेन्द्र यादव दयासिन्धु शंखधार से बाबू जी कहते थे और दौड़ कर पैर भी छूते थे, इसके बावजूद दयासिन्धु शंखधार का यह आरोप है कि सपा में उनका सम्मान नहीं था।

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