बदायूं जिले में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। भ्रष्टाचार, लापरवाही और मनमानी के चलते पीएचसी और सीएचसी का लाभ आम जनता को नहीं मिल पा रहा है। विवादित डॉ. महेश प्रताप सिंह के कारण उझानी का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बर्बाद हो चुका है, इससे भी बड़ी चौंकाने वाली बात यह है कि ककराला स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शाम से पहले ही बंद हो जाता है, जिससे देर शाम एक प्रसूता की डिलीवरी एंबुलेंस में ही हो गई।
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बताते हैं कि गाँव अजरऊ निवासी राहुल कुमार की पत्नी अखिलेश कुमारी को प्रसव के चलते तेज दर्द हुआ तो, एंबुलेंस को कॉल की गई। प्रसूता की हालत बिगड़ने के कारण चालक प्रवेश नजदीकी ककराला के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर ले गया, जहाँ वह लगभग आधा घंटा तक हूटर बजाता रहा, स्वयं ही कर्मचारियों को खोजता रहा पर, वहां कोई नहीं था। प्रसूता की हालत और ज्यादा बिगड़ने पर चालक उसहैत के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की ओर दौड़ पड़ा, उससे पहले एंबुलेंस में ही डिलीवरी हो गई।
चालक प्रवेश का कहना है कि वह शाम लगभग 5:30 बजे ककराला की पीएचसी पर पहुंचा था पर, वहां कोई नहीं था। स्पष्ट है कि ऐसे में जच्चा-बच्चा की जान भी जा सकती थी। यह भी बता दें कि गुरुवार को ही कलेक्ट्रेट स्थित अटल बिहारी वाजपेयी सभागार में जिलाधिकारी कुमार प्रशांत ने मुख्य विकास अधिकारी निशा अनंत के साथ चिकित्सकों, खंड विकास अधिकारियों व ग्राम प्रधानों को निर्देश दिए कि पीएचसी व सीएचसी की व्यवस्था सुदृढ़ करें।
डीएम ने निर्देश दिए कि जनपद के सभी उपकेन्द्रों पर प्रसव की व्यवस्थायें पूर्ण की जायें, जिससे गर्भवती महिलाओं का समय से प्रसव कराया जा सके। उपकेन्द्रों पर प्रसव से मातृ एवं शिशु दरों में कमी आएगी, इसलिए संस्थागत ही प्रसव कराए जायें, उपकेन्द्रों पर आवश्यक दवायें एवं प्रसव से सम्बंधित यंत्रों की व्यवस्थायें पूर्ण की जायें। एएनएम उपकेन्द्रों पर समय से उपस्थित रहकर प्रसव करायें। प्रत्येक उपकेन्द्र पर ग्राम प्रधान, एएनएम, आशा एवं आगनबाड़ी कार्यकत्री के मोबाइल नंबर अंकित किए जायें। प्राथमिक एवं सामुदाायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के चिकित्सक इन उपकेन्द्रों का समय-समय पर निरीक्षण करते रहें। घरेलु प्रसव को रोकना है और संस्थागत प्रसव कराना है। एएनएम को प्रसव का पूर्ण प्रशिक्षण दिलाया जाए, इस अवसर पर मुख्य चिकित्साधिकारी यशपाल सिंह सहित अन्य जिला स्तरीय अधिकारी भी मौजूद रहे लेकिन, बैठक में दिए गये निर्देशों का पालन 24 घंटे भी नहीं किया गया।
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