अपार शक्ति देने वाली बदायूं की जनता को सपा ने दिया ठेंगा

अपार शक्ति देने वाली बदायूं की जनता को सपा ने दिया ठेंगा

अति पिछड़ा कहा जाने वाले बदायूं जिले को अब वीवीआईपी जिले के रूप में पहचाना जाता है। बदायूं जिले को वीवीआईपी श्रेणी निःसंदेह समाजवादी पार्टी के कारण ही मिली है। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव को जितनी शक्ति इटावा से मिलती रही है, उससे कहीं अधिक शक्ति उन्हें बदायूं देता रहा है, लेकिन इटावा जिले से तुलनात्मक अध्ययन किया जाये, तो बदायूं जिले में एक चौथाई विकास भी नहीं हुआ है, पर आलोचनात्मक गालियाँ बदायूं के लोगों को इटावा के लोगों से ज्यादा मिलती हैं।

उत्तर प्रदेश के गैर सपाइयों की तो बात ही छोड़िये, सपाई भी बदायूं के नाम से ईर्ष्या करते हैं। विकास और सुविधाओं की बात चलती है, तो उलाहना देते हैं कि बदायूं को ही सब दे दिया जाता है। इटावा की आलोचना नहीं करते, क्योंकि वहां की आलोचना पर दंडित किये जा सकते हैं, साथ ही इटावा के बारे में यह बात अंदर तक बैठी हुई है कि वहां जो हो जाये, वह कम ही है, जबकि मत प्रतिशत और विधायकों की संख्या में बदायूं जिला इटावा से हमेशा अग्रणी रहता आया है।

खैर, बात बदायूं जिले में हुए विकास की ही करते हैं, तो विकास के नाम पर सबसे पहले सड़कें ही दिखती हैं, जिनकी हकीकत यह है कि उन सड़कों को बनाने वाले इटावा और मैनपुरी के ही ठेकेदार हैं, जिससे लगता है कि सड़कें बदायूं की जनता के हित में कम, उन ठेकेदारों को लाभ पहुँचाने को डलवाई गई हैं, इसके अलावा देश भर के मुख्यालयों को जोड़ने की योजना अटल सरकार में शुरू हुई थी, जिसके तहत दस-बीस वर्षों में सभी सड़कें बननी ही थीं। जो जिले वीवीआईपी नहीं माने जाते, उनमें भी बन चुकी हैं, सो सड़कों को लेकर समाजवादी पार्टी का कोई बहुत बड़ा अहसान नहीं है।

दूसरे नंबर पर राजकीय मेडिकल कॉलेज आता है, तो वहां डॉक्टर, फार्मासिस्ट और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्तियों में बदायूं जिले के लोगों की भागीदारी की सूची देखने से ही आभास हो जाता है कि यह मेडिकल कॉलेज किसे लाभ दे रहा है, ऐसे ही कक्षायें शुरू होने पर भी यहाँ के कितने बच्चों को एडमिशन मिलेगा, यह भी अगले वर्ष से खुलासा हो जायेगा। बदायूं के जिला अस्पताल के पास जितनी जमीन है और जितनी अच्छी लोकेशन है, उतनी प्रदेश के अधिकाँश जिलों में नहीं होगी, लेकिन वह डॉक्टरों के अभाव में स्वयं बीमार सा है। मशीनें हैं, लेकिन उन्हें कोई साफ करने वाला तक नहीं है। जिले के सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में भैसें बांधी जा रही हैं। सरकार की मंशा जनता को लाभ पहुँचाने वाली रही होती, तो जिला अस्पताल से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक समस्त सुविधायें और डॉक्टर मुहैया करा रही होती, ऐसे में मेडिकल कॉलेज बदायूं के लोगों के लिए सिर्फ पैरासीटामोल बाँटने भर को ही खुला है। नौकरियां बाहर के लोगों को दी जायेंगी।

रामपुर पड़ोसी जिला है, जिसे वीवीआईपी नहीं कहा जाता, वहां लोकसभा चुनाव में मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में भी भाजपा का कमजोर प्रत्याशी सांसद चुन गया, लेकिन विकास में बदायूं जिले से कहीं आगे है। ओवरब्रिज बदायूं से ज्यादा बड़ा है। सड़कें बदायूं से ज्यादा अच्छी हैं और बिजली यहाँ से हमेशा ज्यादा आती है। बदायूं से बाहर के लोग बिजली न होने पर गाली देते समय बदायूं को पहले देते हैं, लेकिन असलियत यह है कि बदायूं में 12-14 घंटे भी बिजली नहीं आ रही है। बिजली के आने और जाने का भी कोई शैड्यूल निश्चित नहीं है। भीषण गर्मी में हाहाकार मचा हुआ है।

बदायूं जिले में जो विकास हुआ है, वह समय के साथ होना स्वाभाविक ही था, लेकिन श्रेय समाजवादी पार्टी को मिलता रहा है। चूँकि समाजवादी पार्टी से सलीम इकबाल शेरवानी चार बार सांसद रहे हैं और उनके बाद सपा सुप्रीमो के भतीजे धर्मेन्द्र यादव लगातार दूसरी बार सांसद हैं, इनके कार्यकाल में ही सब कुछ हुआ है, इन्होंने प्रयास भी किया है, जिससे इन्हें श्रेय मिलना स्वाभाविक ही है। बदायूं की जनता समाजवादी पार्टी, मुलायम सिंह यादव, धर्मेन्द्र यादव का अहसान मानती भी है, लेकिन हिसाब लगाया जाये, तो बदायूं की जनता ने जो दिया है, उसके बदले में हुआ विकास कुछ भी नहीं है।

समाजवादी पार्टी की दृष्टि में बदायूं के लोगों का अलग स्थान होता, तो यहाँ पांच वर्ष तक लगातार बिजली रहनी चाहिए थी, जबकि यहाँ 15 घंटे भी बिजली नहीं मिल रही है। गुजरी 23 को बदायूं में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की रैली आयोजित की गई थी, जिसमें सिर्फ लोक निर्माण विभाग के खर्चे की बात करें, जो लगभग 65 लाख रूपये से ऊपर का है। समस्त विभागों की बात करें, तो खर्च की राशि करोड़ों में होगी। यहाँ सवाल उठता है कि इतने रूपये उड़ा देने से बदायूं की जनता पर क्या अंतर पड़ेगा? बदायूं की जनता सपा के साथ रही ही है और सही मन से वाकई में विकास किया है, तो जनता आगे भी साथ रहेगी, इसलिए करोड़ों रुपया बर्बाद करने की जगह सपा को मूलभूत सुविधायें देने पर विशेष ध्यान देना चाहिए था। बिजली न दे पाने वाली सरकार की रैली से हाल-फिलहाल जनता झल्ला रही है, जिसका दुष्परिणाम सपा को आने वाले समय में दिखाई भी देगा।

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