पुनर्मतदान से पहले गाँव बीधा नगला में पुलिस का तांडव

पुनर्मतदान से पहले गाँव बीधा नगला में पुलिस का तांडव
पुलिस द्वारा उखाड़ा गया हैंडपंप।
पुलिस द्वारा उखाड़ा गया हैंडपंप।

बदायूं जिले का पुलिस-प्रशासन चुनाव में दबंगों और अपराधियों पर लगाम कसने में असफल साबित हुआ है, लेकिन महिलाओं, बच्चों, बुजर्गों, बीमारों और बेजुबान जानवरों पर पूरी शक्ति का प्रयोग करता नजर आ रहा है। पुलिस व प्रशासन के शीर्ष अफसरों के नेतृत्व में आज गाँव बीधा नगला में अर्द्ध सैनिक बल के जवानों के साथ पुलिस ने जमकर तांडव किया, जिससे गाँव में दहशत का माहौल है।

पुलिस द्वारा तोड़ी गई दीवार।
पुलिस द्वारा तोड़ी गई दीवार।

उल्लेखनीय है कि बदायूं जिले का पुलिस व प्रशासन नियमों के अनुसार चुनाव कराने में असफल रहा है। जगह-जगह दबंगों और अपराधियों का राज चलता रहा, लेकिन पुलिस व प्रशासन कुछ नहीं कर पाया, साथ ही आयोग की नजर में आदर्श बने रहने के प्रयास इस हद तक किये गये कि दोषियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई तक नहीं की गई, पर ब्लॉक आसफपुर क्षेत्र के गाँव बीधा नगला में अति ही हो गई। पुलिस व प्रशासन की लापरवाही के चलते मतपेटी में पानी डाल दिया गया, जिसका तीन नामजद व 25 अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हुआ एवं प्रेक्षक अजय कुमार सिंह ने यहाँ पुनर्मतदान कराने के आदेश दिए थे।

पुलिस के तांडव के बारे में बताती एक बुजुर्ग महिला।
पुलिस के तांडव के बारे में बताती एक बुजुर्ग महिला।

बीधा नगला में कल पुनर्मतदान होना है, उससे पहले जिला स्तरीय अफसरों के नेतृत्व में अर्द्ध सैनिक बल के जवानों और कई थानों की पुलिस के साथ एसओ कश्मीर सिंह यादव ने आज जमकर तांडव किया। आरोप है कि प्रधान पद के प्रत्येक प्रत्याशी के घर में पुलिस गुंडों की तरह घुस गई। अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज होने के कारण अधिकाँश पुरुष फरार ही थे, जिससे पुलिस का निशाना बच्चे, बुजुर्ग, बीमार और महिलायें बनीं।

पुलिस द्वारा तोड़ी गई किवाड़ें।
पुलिस द्वारा तोड़ी गई किवाड़ें।

जो जहाँ था, उसे पकड़ कर पीटा गया। आरोप है कि रोटी बनाते हुए और स्नान करती हुई महिलाओं को भी घसीट कर पीटा गया। दीवारें तोड़ दी गईं, हैंडपंप उखाड़ फेंके और जानवरों तक को पीटा गया। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि पुलिस के जवान दरिदों जैसा बर्ताव कर रहे थे। पुलिस द्वारा किये गये तांडव के चलते गाँव में न सिर्फ सन्नाटा पसरा है, बल्कि हर घर में दहशत का माहौल है। बताते हैं कि गाँव में पुलिस को कोई पुरुष नहीं मिला, तो पुलिस द्वारा खेतों पर धावा बोला गया, जहां से आधा दर्जन लोग हिरासत में ले लिए गये हैं, लेकिन इसकी पुष्टि करने को कोई तैयार नहीं है। आलम यह है कि मतदाताओं में चुनाव में भाग लेने का भी साहस नहीं बचा है। आरोप यह भी है कि अफसरों व पुलिस ने एक प्रत्याशी को जिताने के लिए गाँव में दहशत का माहौल बनाया है। अब देखते हैं कि पुलिस की इस कार्रवाई पर आयोग कोई कार्रवाई करता है, या नहीं।

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