कोविड- 19 के संकट को दरकिनार कर धनराशि का बंदरबांट करने में जुटा ईओ

कोविड- 19 के संकट को दरकिनार कर धनराशि का बंदरबांट करने में जुटा ईओ

बदायूं जिले में सरकारी धन की लूट निरंतर जारी है। कोरोना वायरस के चलते सरकार चंदा लेने को मजबूर है लेकिन, नगर निकायों में महत्वपूर्ण धनराशि को बर्बाद किया जा रहा है, जबकि शासन ने परिस्थितियों से स्पष्ट अवगत करा दिया है, इसके बावजूद भ्रष्ट पालिका प्रशासन नहीं मान रहा है। तेजतर्रार डीएम कुमार प्रशांत और तेजतर्रार एडीएम (प्रशासन) ऋतु पुनिया के संज्ञान में प्रकरण पहुंचा तो, वे संबंधित अधिशासी अधिकारी को दंडित किये बिना नहीं छोड़ेंगे।

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ताजा प्रकरण नगर पालिका परिषद उझानी है, यहाँ सड़क किनारे पोल और लाइट लगाने का 55 लाख रूपये का टेंडर जारी किया गया है। टेंडर डालने की अंतिम तिथि 29 जून है। सूत्रों का कहना है कि लाइट और पोल लगाने के कार्य में जमकर कमीशन ली जाती है। जमीन पर बमुश्किल 30% धनराशि का कार्य किया जाता है, शेष धनराशि माफिया और संबंधित अधिकारी-कर्मचारी मिल कर खा जाते हैं। उझानी में पूर्व राज्यमंत्री विमल कृष्ण अग्रवाल “पप्पी भैया” की पत्नी पूनम अग्रवाल पालिकाध्यक्ष हैं, इनके बारे में कहा जाता है कि वे ईमानदारी से कार्य करते हैं, इसके बावजूद उन्होंने कोरोना काल में लाइट और पोल लगाने की अनुमति कैसे दे दी, यह समझ से परे है। सूत्रों का यह भी कहना है ट्रैक्टर चालक के नाम से कुख्यात माफिया ने लाइट और पोल लगाने की सेटिंग कर ली है।

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यह भी बता दें कि नगर निकाय की निदेशक डॉ. काजल ने 19 जून को एक पत्र जारी किया था कि कोविड- 19 के प्रभाव के कारण उत्पन्न विशेष परिस्थिति में राज्य सरकार के राजस्व प्राप्तियों में आई कमी के परिणाम स्वरूप राज्य वित्त आयोग की धनराशि प्राप्त न होने की दशा में नगर निकायों के कार्मिकों का वेतन भुगतान 14वें वित्त आयोग की अवशेष धनराशि से कर दिया जाये।

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निदेशक के पत्र का आशय यही है कि संकट काल के चलते धनराशि को महत्वपूर्ण कार्यों पर खर्च किया जाये पर, उझानी के ईओ धीरेन्द्र कुमार राय को परिस्थितियाँ नहीं दिख रही हैं तभी, माफिया से मिलीभगत के चलते 55 लाख रूपये का टेंडर जारी कर दिया गया है, यह पोल और लाइट निरर्थक ही साबित होने हैं। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि निकायों में नालों की सफाई नियमित कर्मचारियों से ही कराई जा रही है, जबकि उझानी में नालों की सफाई अलग से ठेका देकर कराई जा रही है। सवाल यह है कि नियमित कर्मचारी नालों की सफाई नहीं कर सकते तो, उन्हें पालिका वेतन क्यों दे रही है।

खैर, वर्तमान में जिले में कार्यरत डीएम कुमार प्रशांत और एडीएम (प्रशासन) ऋतु पुनिया तेजतर्रार अफसर कहे जाते हैं। उक्त प्रकरण डीएम और एडीएम (प्रशासन) के संज्ञान में पहुंचा तो, ईओ धीरेन्द्र कुमार राय के विरुद्ध कार्रवाई होना तय माना जा रहा है। उल्लेखनीय है कि पूर्व में भी ईओ धीरेन्द्र कुमार राय टेंडर डिलीट कर साइट हैक होने की अफवाह फैला चुके हैं, उस प्रकरण में भी ईओ धीरेन्द्र कुमार राय पर कार्रवाई नहीं हुई थी तभी, उनका दुस्साहस बढ़ता रहा है।

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