बदायूं जिले में भारतीय जनता पार्टी के अंदर जारी गुटबंदी का लाभ अब आरोपित भी खुलेआम लेने लगे हैं। आरोपित पक्ष के प्रार्थना पत्र पर मुकदमों की विवेचना बरेली जिले को स्थानांतरित कर दी गई है, इस प्रकरण को लेकर अंदर ही तापमान लगातार बढ़ रहा है। प्रकरण प्रांतीय स्तर पर पहुंच गया है। हाईकमान से शिकायतें की जा रही हैं। उप-मुख्यमंत्री बृजेश पाठक और प्रमुख सचिव गृह के संज्ञान में भी मामला पहुंचा है।
यह है प्रकरण
कुंवरगांव थाना क्षेत्र के गांव दुगरैया के 13 अप्रैल को भयावह वीडियो सामने आये थे, जिसमें दबंग महिलाओं और बच्चों को भी खुलेआम पीट रहे थे, फायरिंग की जा रही थी, जिससे समूचे वातावरण में दहशत थी, हाहाकार मचा हुआ था, इसके बाद खुशनसीब की ओर से मुहम्मद अली, मुहम्मद आजम, मुहम्मद अकरम, मुशाहिद उर्फ चानी, गुड्डा, जहांगीर, रिफाकत और मुशाहिद के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई गई थी। क्रॉस केस दर्ज करने में माहिर उस समय के प्रभारी निरीक्षक अरविंद कुमार ने रिफाकत अली की ओर से भी शिफत अली, शाहनवाज, कासिम, शंहशाह, तहमीद, तनवीर और शारिफ के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया था।
हटाये गये प्रभारी निरीक्षक
सूत्रों का कहना है कि उक्त प्रकरण में क्रॉस केस दर्ज करने के मुद्दे ने तूल पकड़ा तो, प्रभारी निरीक्षक अरविंद कुमार को अपराध शाखा में भेज दिया गया, उनके स्थान पर वेदपाल सिंह को प्रभारी निरीक्षक बना दिया गया लेकिन, सूत्रों का कहना है कि अरविंद कुमार ने कुंवरगांव थाना परिसर अभी तक नहीं छोड़ा है, वे रात्रि निवास थाना परिसर में ही करते हैं, जो उनकी भूमिका को अभी भी संदिग्ध बनाये हुये हैं।
यह है ताजा प्रकरण
आरोपित मुहम्मद आजम की पत्नी नुरुल हुदा के प्रार्थना पत्र पर पुलिस उपमहानिरीक्षक बरेली ने उक्त मुकदमों की विवेचना बरेली जनपद के लिये स्थानांतरित कर दी है, जिससे भारतीय जनता पार्टी का एक गुट बेहद गुस्से में हैं। सूत्रों का कहना है कि दो माननीय लखनऊ पहुंच कर हाईकमान से शिकायत कर के आये हैं, साथ ही उप-मुख्यमंत्री बृजेश पाठक और प्रमुख सचिव गृह से भी शिकायत की गई है।
दलाल ने किया है पूरा मैनेजमेंट
उक्त मुकदमों को लेकर सूत्रों का कहना है कि एक हाईप्रोफाइल दलाल ने भाजपा के एक गुट से बरेली के अफसरों को फोन कराया, उनके फोन के सहारे स्वयं मोटी रकम लेकर माननीयों का सार्वजनिक अपमान करा दिया। अब आम चर्चा है कि माननीय पर विपक्ष का अदना सा आदमी भारी पड़ गया, वे वीडियो साक्ष्य होने के बावजूद सामान्य कार्रवाई भी नहीं करा पाये, उनकी पसंद का प्रभारी निरीक्षक भी बड़ा खेल कर गया, जिससे माननीय बेहद गुस्से में बताये जा रहे हैं।
यह हैं सवाल
राजनीति, पक्ष-विपक्ष, गुटबाजी, दलाल और भ्रष्टाचार को किनारे कर दिया जाये, साथ ही सूत्रों को बातों को भी निरस्त कर दिया जाये, फिर भी कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं, जैसे कि विवेचना बरेली जनपद को स्थानांतरित क्यों की गई? बदायूं जनपद के सब-इंस्पेक्टर, इंस्पेक्टर, सीओ, एएसपी और एसएसपी अक्षम हैं क्या? बदायूं जनपद में तटस्थ और ईमानदार अफसर नहीं हैं क्या? किसी भाजपा विधायक से समस्या थी तो, उनके विधान सभा क्षेत्र से बाहर के थाने से विवेचना नहीं कराई जा सकती थी क्या? भाजपा सरकार से ही समस्या है तो, बरेली जनपद में भाजपा सरकार नहीं है क्या? बरेली जनपद के सब-इंस्पेक्टर, इंस्पेक्टर, सीओ, एएसपी और एसएसपी अधिक तटस्थ और अधिक ईमानदार हैं क्या? बरेली के एसएसपी अपने अधीनस्थों की निगरानी नहीं करते हैं क्या? बरेली के सब-इंस्पेक्टर, इंस्पेक्टर, सीओ और एएसपी विवेचना करने में मनमानी करते हैं क्या? तमाम सवाल हैं, जिनका जवाब अभी हमारे पास नहीं है लेकिन, इन सवालों के कारण बदायूं जिले की पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह अवश्य लग गया है।
बदायूं जिले की पुलिस को बदल देना चाहिये
उक्त प्रकरण में बदायूं जिले की पुलिस विवेचना करने में अक्षम है तो, सवाल यह भी है कि अन्य तमाम प्रकरणों में विवेचना बदायूं पुलिस से क्यों कराई जा रही है? उक्त प्रकरण की विवेचना स्थानांतरित करने से स्पष्ट है कि बदायूं पुलिस विवेचना करने में अक्षम है, इसलिये समूचे जनपद की पुलिस को बदलना चाहिये और जब तक ऐसा नहीं हो तब तक प्रत्येक विवेचना जिले से बाहर की पुलिस से ही कराना चाहिये।
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