
बदायूं नगर पालिका परिषद को सवर्ण मुक्त करने का षड्यंत्र गौतम संदेश ने पूरा नहीं होने दिया। गौतम संदेश के खुलासा करने के बाद रेपिड सर्वे की रिपोर्ट बदलवा कर पिछड़ों की संख्या ज्यादा दर्शाने का दबाव अफसरों ने नहीं माना। प्रशासन द्वारा सर्वे रिपोर्ट शासन को प्रेषित कर दी गई है, जिसमें पिछड़े वर्ग की सही संख्या ही भेजी गई है।
उल्लेखनीय है कि समाजवादी पार्टी की सरकार के कार्यकाल में नगर निकायों का सर्वे कराया गया था, जिसे भाजपा सरकार ने निरस्त कर दिया। सरकार ने नगर निकायों का पुनः रेपिड सर्वे कराया, तो दूसरे सर्वे में भी बदायूं शहर में पिछड़े वर्ग की जनसंख्या लगभग समान ही रही, लेकिन पालिकाध्यक्ष का पद पिछड़े वर्ग को आरक्षित कराने के उद्देश्य से कुछेक भाजपाई पिछड़े वर्ग की संख्या रिपोर्ट में बढ़वाने का प्रयास कर रहे थे। अफसरों पर पिछड़े वर्ग की संख्या रिपोर्ट में 40% कराने का दबाव था, जिसकी भनक गौतम संदेश को लग गई, तो गौतम संदेश ने षड्यंत्र का खुलासा करते हुए खबर प्रकाशित कर दी। खबर प्रकाशित होने के बाद अफसर डर गये एवं भाजपा के सवर्ण नेता भी सक्रिय हो गये, जिससे रिपोर्ट नहीं बदली जा सकी।
सूत्रों का कहना है कि बदायूं शहर क्षेत्र में पिछड़े वर्ग की संख्या पहली सर्वे रिपोर्ट में लगभग 33. 40% भेजी गई थी, लेकिन दूसरी रिपोर्ट में जिला प्रशासन ने पिछड़े वर्ग की जनसंख्या 33. 56% भेजी है, जो लगभग सही मानी जा रही है। भाजपा के रणनीतिकार पार्टी के अंदर और बाहर की जंग रिपोर्ट बदलवा कर जीतना चाहते थे। पिछड़े वर्ग के लिए पद आरक्षित होते ही पार्टी में दावेदारों की संख्या घट जाती और चुनाव के बिना ही निवर्तमान पालिकाध्यक्ष फात्मा रजा को भी किनारे कर दिया जाता, लेकिन गौतम संदेश ने रणनीतिकारों की चाल समय से पहले ही खराब कर दी।
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